राम नवमी को चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है।
क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था ।
और यह त्यौहार अप्रैल मई में आता है ।
भारत देश में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को बहुत मानते आए है ।
भगवान राम कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं है। भगवान राम लोगों की आस्था है ।
यह बात त्रेतायुग से चली आ रही है की जो व्यक्ति भगवान राम की शरण में गया उसकी जय जय कर भी हुई है और उसका सम्मान भी मिला है ।
राम नवमी के दिन हनुमान जी की पूजा करने से होंगे सभी संकट दूर
राम नवमी के दिन सभी लोग भिन्न भिन्न तरीकों से भगवान श्री राम की पूजा अर्चना करते है ।
लेकिन अगर भगवान श्री राम को जल्दी प्रसन्न करना चाहते हो तो राम नवमी के दिन भगवान श्री राम की पूजा अर्चना के साथ साथ हनुमान जी की भी पूजा अर्चना करनी चाहिए ।
हनुमान जी श्री राम के अनन्य भक्त होने के कारण भगवान श्री राम जल्दी प्रसन्न हो जाते ।
जिन जिन घर में भगवान श्री राम के साथ साथ। हनुमान जी की पूजा अर्चना होती है । वहां सभी से किसी भी प्रकार का संकट नहीं आ सकता है ।
क्योंकि हनुमान जी को संकट मोचन भी कहा जाता है इसलिए हनुमान जी जहा पूजा अर्चना होती है । उस जगह से हनुमान जी संकट को मिटा देते है ।
हनुमान ध्वजा लगाने का क्या है कारण क्यों लगाते है ।
राम नवमी के दिन लोग भगवान राम की पूजा करने के साथ साथ हनुमान जी की पूजा अर्चना करते है ।
और हनुमान जी की ध्वजा लगाते है जिसे हम हनुमान पताका के नाम से जाना है और इस हनुमान ध्वजा को विजय पताका के नाम से भी जाना जाता है ।
हनुमान जी की ध्वजा लगाने का कारण ;
जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ था तब भगवान श्री कृष्ण के आदेशानुसार हनुमान जी अर्जुन के रथ के झंडे में विराजमान हुए थे और हनुमान जी ने अर्जुन की हर क्षण रक्षा की थी ।
लेकिन जब युद्ध समाप्त हुआ था तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को कहा की है अर्जुन तुम अपने गांडीव धनुष और अक्षय तरकश को लेकर रथ से उतर जाओ ।
अर्जुन श्री कृष्ण के आदेशानुसार रथ से उतर गया अर्जुन के उतरने के बाद जैसे ही श्री कृष्ण रथ से नीचे उतरे तो अर्जुन के रथ में झंडे के रूप में विराजमान पवनपुत्र हनुमान जी भी उड़ गए ।
हनुमान जी के उड़ते ही अर्जुन का रथ जलकर भस्म हो गया इस दृश्य को देख कर अर्जुन ने कहा श्री कृष्ण से इसका कारण पूछा तो भगवान श्री कृष्ण ने बताया की तुम्हारा रथ तो अनेक दिव्य शास्त्रों के परहार से कब का ही जल गया था ये मेरे और पवनपुत्र हनुमान के विराजमान होने से तुम्हारा रथ भस्म नही हुआ था ।
जब तुम्हारा कर्तव्य पूर्ण हो गया तो हमने रथ को अपना कर्तव्य पूर्ण होने दिया ।
तुम्हारा रथ तो कर्ण के अनेक शक्तिशाली प्रहारों की वजह से कब का ही भस्म हो जाता।
जिस समय मेंने और हनुमान ने इस रथ का त्याग दिया यह उसी क्षण भस्म हो गया ।
राम नवमी के दिन जिन घरों पर हनुमान ध्वजा या हनुमान पताका फहराई जाती है उन घरों पर हनुमान जी के साथ साथ भगवान श्री राम भी विराजमान होते है ।
उसके बाद प्रकार का संकट आता है तो हनुमान जी अपने उपर ले लेते है ।
जहा जहा भगवान श्री राम की पूजा होती है उस स्थान पर हनुमान जी की पूजा अर्चना होने से सभी प्रकार के संकट दूर होंगे और भगवान श्री राम भी प्रसन्न रहेंगे ।